अनमोल और बहुत महान वादे

35 आकाश और पृथ्वी टल जाएँगे, परन्तु मेरे शब्द कभी न टलेंगे।
(मत्ती 24: 35)


पुराने नियम से वह पद (या कई पद) जहाँ वादा पाया जाता है:

9 मेरा परम मित्र जिस पर मैं भरोसा रखता था,
जो मेरी रोटी खाता था,
उसने भी मेरे विरुद्ध लात उठाई है।”
(भजन संहिता 41: 9)


मत्ती का वह पद जो एक वादे की पूर्ति को दर्शाता है:

14 तब यहूदा इस्करियोती ने, जो बारह चेलों में से एक था, प्रधान याजकों के पास जाकर कहा, 15 “यदि मैं उसे तुम्हारे हाथ पकड़वा दूँ, तो मुझे क्या दोगे?” उन्होंने उसे तीस चाँदी के सिक्के तौलकर दे दिए। 16 और वह उसी समय से उसे पकड़वाने का अवसर ढूँढ़ने लगा।”
(मत्ती 26: 14-16)
*जोर दिया गया है।


परमेश्‍वर का एक और अनमोल और बहुत महान वादा यह है:

34 यीशु ने उनको उत्तर दिया, “मैं तुम से सच-सच कहता हूँ कि जो कोई पाप करता है, वह पाप का दास है। 35 और दास सदा घर में नहीं रहता; पुत्र सदा रहता है। 36 इसलिए यदि पुत्र तुम्हें स्वतंत्र करेगा, तो सचमुच तुम स्वतंत्र हो जाओगे।”
(यूहन्ना 8: 34-36)

याद करने के लिए

ईश्वरीय वादे

34 यीशु ने उनको उत्तर दिया, “मैं तुम से सच-सच कहता हूँ कि जो कोई पाप करता है, वह पाप का दास है। 35 और दास सदा घर में नहीं रहता; पुत्र सदा रहता है। 36 इसलिए यदि पुत्र तुम्हें स्वतंत्र करेगा, तो सचमुच तुम स्वतंत्र हो जाओगे।”
(यूहन्ना 8: 34-36)

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