अनमोल और बहुत महान वादे

35 आकाश और पृथ्वी टल जाएँगे, परन्तु मेरे शब्द कभी न टलेंगे।
(मत्ती 24: 35)


पुराने नियम से वह पद (या कई पद) जहाँ वादा पाया जाता है:

2 मैं अपना मुँह नीतिवचन कहने के लिये खोलूँगा;
मैं प्राचीनकाल की गुप्त बातें कहूँगा,”
(भजन संहिता 78:2)


मत्ती का वह पद जो एक वादे की पूर्ति को दर्शाता है:

34 ये सब बातें यीशु ने दृष्टान्तों में लोगों से कहीं, और बिना दृष्टान्त वह उनसे कुछ न कहता था। 35 कि जो वचन भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा गया था, वह पूरा हो: “मैं दृष्टान्त कहने को अपना मुँह खोलूँगा मैं उन बातों को जो जगत की उत्पत्ति से गुप्त रही हैं प्रगट करूँगा।”
(मत्ती 13: 34, 35)
*जोर दिया गया है।


परमेश्‍वर का एक और अनमोल और बहुत महान वादा यह है:

18 जो उस पर विश्वास करता है, उस पर दण्ड की आज्ञा नहीं होती, परन्तु जो उस पर विश्वास नहीं करता, वह दोषी ठहराया जा चुका है; इसलिए कि उसने परमेश्वर के एकलौते पुत्र के नाम पर विश्वास नहीं किया।”
(यूहन्ना 3: 18)

याद करने के लिए

ईश्वरीय वादे

18 जो उस पर विश्वास करता है, उस पर दण्ड की आज्ञा नहीं होती, परन्तु जो उस पर विश्वास नहीं करता, वह दोषी ठहराया जा चुका है; इसलिए कि उसने परमेश्वर के एकलौते पुत्र के नाम पर विश्वास नहीं किया।”
(यूहन्ना 3: 18)

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