अनमोल और बहुत महान वादे

35 आकाश और पृथ्वी टल जाएँगे, परन्तु मेरे शब्द कभी न टलेंगे।
(मत्ती 24: 35)


पुराने नियम से वह पद (या कई पद) जहाँ वादा पाया जाता है:

22 राजमिस्त्रियों ने जिस पत्थर को निकम्मा ठहराया था
वही कोने का सिरा हो गया है।
23 यह तो यहोवा की ओर से हुआ है,
यह हमारी दृष्टि में अद्भुत है।”
(भजन संहिता 118: 22, 23)


मत्ती का वह पद जो एक वादे की पूर्ति को दर्शाता है:

42 यीशु ने उनसे कहा, “क्या तुम ने कभी पवित्रशास्त्र में यह नहीं पढ़ा:
‘जिस पत्थर को राजमिस्त्रियों ने बेकार समझा था,
वही कोने के सिरे का पत्थर हो गया
यह प्रभु की ओर से हुआ, और हमारे
देखने में अद्भुत है।?’

43 “इसलिए मैं तुम से कहता हूँ, कि परमेश्वर का राज्य तुम से ले लिया जाएगा; और ऐसी जाति को जो उसका फल लाए, दिया जाएगा। 44 जो इस पत्थर पर गिरेगा, वह चकनाचूर हो जाएगा: और जिस पर वह गिरेगा, उसको पीस डालेगा।”
(मत्ती 21: 42-44)
*जोर दिया गया है।


परमेश्‍वर का एक और अनमोल और बहुत महान वादा यह है:

63 आत्मा तो जीवनदायक है, शरीर से कुछ लाभ नहीं। जो बातें मैंने तुम से कहीं हैं वे आत्मा हैं, और जीवन भी हैं।”
(यूहन्ना 6: 63)

याद करने के लिए

ईश्वरीय वादे

63 आत्मा तो जीवनदायक है, शरीर से कुछ लाभ नहीं। जो बातें मैंने तुम से कहीं हैं वे आत्मा हैं, और जीवन भी हैं।”
(यूहन्ना 6: 63)

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