अनमोल और बहुत महान वादे
इस अध्ययन का उद्देश्य इस सत्य को बढ़ावा देना है कि परमेश्वर पूर्णतः भरोसेमंद है। वह विश्वासयोग्य, सच्चा और अपरिवर्तनीय है।
“35 आकाश और पृथ्वी टल जाएँगे, परन्तु मेरे शब्द कभी न टलेंगे।” | |
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पुराने नियम से वह पद (या कई पद) जहाँ वादा पाया जाता है: “1 मेरे दास को देखो जिसे मैं सम्भाले हूँ, मेरे चुने हुए को, जिससे मेरा जी प्रसन्न है; मैंने उस पर अपना आत्मा रखा है, वह जाति-जाति के लिये न्याय प्रगट करेगा।” (यशायाह 42: 1) *जोर दिया गया है। | |
मत्ती का वह पद जो एक वादे की पूर्ति को दर्शाता है: 25 यीशु ने उन्हें पास बुलाकर कहा, “तुम जानते हो, कि अन्यजातियों के अधिपति उन पर प्रभुता करते हैं; और जो बड़े हैं, वे उन पर अधिकार जताते हैं। 26 परन्तु तुम में ऐसा न होगा; परन्तु जो कोई तुम में बड़ा होना चाहे, वह तुम्हारा सेवक बने; 27 और जो तुम में प्रधान होना चाहे वह तुम्हारा दास बने; 28 जैसे कि मनुष्य का पुत्र, वह इसलिए नहीं आया कि अपनी सेवा करवाए, परन्तु इसलिए आया कि सेवा करे और बहुतों के छुटकारे के लिये अपने प्राण दे।” (मत्ती 20: 25-28) *जोर दिया गया है। | |
परमेश्वर का एक और अनमोल और बहुत महान वादा यह है: “37 जो कुछ पिता मुझे देता है वह सब मेरे पास आएगा, और जो कोई मेरे पास आएगा उसे मैं कभी न निकालूँगा। 38 क्योंकि मैं अपनी इच्छा नहीं, वरन् अपने भेजनेवाले की इच्छा पूरी करने के लिये स्वर्ग से उतरा हूँ।” (यूहन्ना 6: 37, 38) |
याद करने के लिए
ईश्वरीय वादे
“37 जो कुछ पिता मुझे देता है वह सब मेरे पास आएगा, और जो कोई मेरे पास आएगा उसे मैं कभी न निकालूँगा। 38 क्योंकि मैं अपनी इच्छा नहीं, वरन् अपने भेजनेवाले की इच्छा पूरी करने के लिये स्वर्ग से उतरा हूँ।”
(यूहन्ना 6: 37, 38)
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