अनमोल और बहुत महान वादे

35 आकाश और पृथ्वी टल जाएँगे, परन्तु मेरे शब्द कभी न टलेंगे।
(मत्ती 24: 35)


पुराने नियम से वह पद (या कई पद) जहाँ वादा पाया जाता है:

7 तब मैंने कहा,
“देख, मैं आया हूँ; क्योंकि पुस्तक में
मेरे विषय ऐसा ही लिखा हुआ है।
8 हे मेरे परमेश्वर,
मैं तेरी इच्छा पूरी करने से प्रसन्न हूँ;
और तेरी व्यवस्था मेरे अन्तःकरण में बसी है।”
(भजन संहिता 40: 7, 8)


मत्ती का वह पद जो एक वादे की पूर्ति को दर्शाता है:

17 “यह न समझो, कि मैंव्यवस्था या भविष्यद्वक्ताओं की शिक्षाओं को लोप करने आया हूँ, लोप करने नहीं, परन्तु पूरा करने आया हूँ। 18 क्योंकि मैं तुम से सच कहता हूँ, कि जब तक आकाश और पृथ्वी टल न जाएँ, तब तक व्यवस्था से एक मात्रा या बिन्दु भी बिना पूरा हुए नहीं टलेगा।
(मत्ती 5: 17, 18)
*जोर दिया गया है।


परमेश्‍वर का एक और अनमोल और बहुत महान वादा यह है:

6 “धन्य हैं वे, जो धार्मिकता के भूखे और प्यासे हैं,
क्योंकि वे तृप्त किए जाएँगे।”
(मत्ती 5: 6)

याद करने के लिए

ईश्वरीय वादे

6 “धन्य हैं वे, जो धार्मिकता के भूखे और प्यासे हैं,
क्योंकि वे तृप्त किए जाएँगे।”
(मत्ती 5: 6)

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